कोरोना कालखंड में खास है इस साल का करवा चौथ

उत्तर भारत में पति की लंबी उम्र के लिये मनाया जाने वाला करवा चौथ त्योहार कोरोना कालखंड में कुछ खास माना जा रहा है सनातन धर्म के प्रकांड विद्वानो के मुताबिक निर्जला व्रतधारी विवाहिताओं के लिये इस साल यह पर्व इसलिये खास है ।
क्योकि यह व्रत बुधवार को पड़ रहा है और बुध के कारक देवता विघ्न विनाशक श्री गणेश जी माने जाते हैं वहीं इस व्रत में भी श्री गणेश का विशेष महत्व माना गया है। पंडित हरीश प्रसाद दूबे ने बताया कि इस बार ये व्रत चार नवंबर को चतुर्थी तिथि भोर तीन बजकर 24 मिनट से अगले दिन पांच नवम्बर को पांच बजकर 14 मिनट तक रहेगी।
व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब 4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन (Karva Chauth) के बाद संपूर्ण होता है। श्री दूबे ने बताया कि सौभाग्यवती (सुहागिन) सुबह सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके पूजा घर की सफाई करें फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें, यह व्रत उनको संध्या में सूरज अस्त होने के बाद चन्द्रमा के दर्शन करके ही खोलना चाहिए और बीच में जल भी नहीं पीना चाहिए।
संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे (करवा चौथ के लिए खास मिट्टी के कलश) रखें,पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि थाली में रखें। दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहना चाहिए, जिससे वह पूरे समय तक जलता रहे,चन्द्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू की जानी चाहिए।