
इन दिनों बढ़ते तकनीकी दौर में तेजी से मोबाइल और अन्य गैजेट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. और इन गैजेट्स के लिए हमें इंटरनेट की जरूरत पड़ती है. इसकी सुविधा जानी -मानी कंपनियों के जरिए लोगों तक पहुंचाई जाती है. नेटवर्क के लिए आप अक्सर जगह- जगह तारों के जाल देखते होंगे. जिसके जरिए आप इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि ये नेटवर्क आप तक पहुंचता कैसे है. और कहां से इसकी शुरूआत हुई थी?

समुद्र में इंटरनेट केबल का जाल दरअसल, दुनियाभर में नेटवर्क समुद्र के नीचे बिछे केबल के जरिए पहुंचता है. समुद्र के इस जाल के जरिए आपको इंटरनेट कनेक्शन, स्पीड और डेटा ट्रांसफर जैसी सुविधाएं मिलती हैं। तो जिस केबल को आप देखते हैं वो इस प्रोसेस का एक छोटा सा हिस्सा है. लेकिन नेटवर्क पहुंचाने का बड़ा रोल समुद्र में बिछे केबल का होता है. जो दुनिया को एक दूसरे से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इंटरनेट की समस्या आप देखते होंगे कि जिस कंपनी का नेटवर्क आप इस्तेमाल कर रहे कभी- कभी उसमें समस्याएं उत्पन्न हो जाती है. दरअसल ये समस्याएं समुद्री तूफान के चलते केबल में गड़बड़ी के कारण होती है. या कभ -कभी केबल में वेव के कारण इस तरह की समस्याएं उत्पन्न होती है. कई बार समुद्री शार्कों द्वारा इन केबल्स को चबाने के कारण भी ऐसी दिक्कत आती हैं. इसलिए अब केबल्स के ऊपर शार्क-प्रूफ वायर रैपर का इस्तेमाल किया जाता है।

पहली बार इस केबल को कब बिछाया गया कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार पहली बार समुद्र में केबल को 1854 में बिछाया गया था. जो न्यूफाउंडलैंड और आयरलैंड के बीच एक टेलिग्राफ केबल के तौर पर बिछाया गया था. आज लगभग 99 प्रतिशत दुनिया में डाटा ट्रांसफर और कम्यूनिकेशन इन केबल के जरिए होता है. जिसे सबमरीन कम्यूनिकेशन भी कहा जाता है. ये केबल दुनिया की बड़ी – बड़ी कंपनियां जैसे गूगल और माइक्रोसॉफ्ट आदि कंपनियों द्वारा बिछाया गया है. माना जाता है कि सैटेलाइट सिस्टम की मुकाबले सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल डाटा ट्रांसफर के लिए काफी सस्ते पड़ते हैं. जिसका नेटवर्क भी फास्ट होता है।

एक दिन में इतने केबल बिछाए जाते हैं एक दिन में लगभग 100- 200 किमी केबल बिछाए जाते हैं. जिसकी चौड़ाई लगभग 17 मिलीमीटर होती है. जो हजारों किमी लंबे होते हैं. जिन्हें ‘केबल लेयर्स’ के जरिए समुद्र की सतह पर बिछाया जाता है. केबल को हाई प्रेशर वाटर जेट तकनीक की मदद से समुद्र की सतह के अंदर गाड़ दिया जाता है. ताकि अन्य समुद्री जीव और सबमरीन को नुकसान ना पहुंचे. केबल कहां से कटा है इसका पता लगाने के लिए रोबॉट्स को भेजा जाता है।
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